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18 जनवरी 2013

अन्दर क्या है ?....

एक आदमी था जो मेले में गुब्बारे बेंचकर अपनी जीवन यापन करता था | उसके पास सभी  रंग लाल, हरा, नीला, काला, पीला और पीला आदि  के गुब्बारे हुआ करते थे | जब भी उसका व्यापार धीमा पड़ता , वह एक हीलियम से भरा गुब्बारा हवा में छोड़ देता और जब बच्चे गुब्बारे को हवा में उड़ते हुए देखते तो खरीदना शुरू कर देते | इस प्रकार वो व्यापार को पुनः तेज कर लेता  था |

एक दिन जब वह गुब्बारे में हवा भर रहा था तो उसने अनुभव किया की उसके जैकेट को कोई पीछे से खींच रहा है | उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक छोटा बच्चा पीछे खड़ा था  और उसने पूछा - अगर आप ये काला वाला गुब्ब्बारा हवा में छोड़ देंगे तो यह उड़ेगा | तब वह आदमी सहानुभूतिपूर्वक बोला - क्यों नहीं , ये रंग की वजह से  हवा में नहीं उड़ता, इसके हवा में उड़ने की वजह ये है की इसके अन्दर क्या है |

यही  बात हमारे जीवन के लिए लागू होती है कि हमारे अन्दर क्या है और वो है हमारा मनोभाव या दृष्टिकोण| जो हमें ऊँचाइयों तक ले जाता है |

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया है ।

    आदरणीय बधाई ।।

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  2. सच कहा, प्रसन्नता मन में जो होती है..

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  3. बहुत सुन्दर कथा...
    बाहरी आवरण तो मात्र दिखावा है...

    आभार
    अनु

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  4. हमारे अन्दर का हमारा मनोभाव या दृष्टिकोण ही हमें ऊँचाइयों तक ले जाता है |
    इस बोध कथा सहित आपके ब्लॉग की पिछली तीन-चार पोस्ट पढ़ी ...
    सबके लिए बधाई और आभार !


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  5. हम्म बहुत खूब ... अंतस को ऊंचा उठाना जरूरी है ....
    सच कहा ...

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  6. सुंदर प्रेरक कथा.....
    अंतस् में अब झाँक
    और स्वयम् को आँक

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