दोस्तो आज मेरे दिमाग मे ये बात आ रही है कि लोग शब्दो का प्रयोग कभी
कभी अनदेखे रूप से करते है मेरा अभिप्राय यह है कि वो शब्दो को उनके भाव के अनुसार
नही प्रयोग करते है इसका कारण यह है कि कई मौको पर तो उन्हे पूरी तरह से पता नही
होता है तो कभी कभी
जानबूझ कर।
अक्सर अनेक प्रेमी अपनी प्रेमिका को बोलते है कि हम तुमसे बहुत प्यार
करते है लेकिन मुसीबत के समय मे गायब हो जाते है वो बहुत आसानी से बोल देते है कि
हम तुमसे बहुत प्यार करते है लेकिन शायद प्यार का सही मतलब नही जानते है कभी कभी
हम कुछ काम कर रहे होते है और कोइ हमे बुलाता है तब हम बोलते है ' आ रहा हूँ ' और हम जाने मे कुछ समय लेते है।
इससे ज्यादा मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि क्या लिखे क्योकि ऐसी बहुत सी
बाते है जो हम लिख नही सकते पर हमे खुद पता होती है।
विचारणीय बात, शब्दों का गलत चयन हमारी लिखित और मौखिक अभिव्यक्ति को बहुत प्रभावित करता है, कई बार अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है.....
जवाब देंहटाएं'(केवल) तुमसे प्यार करना' और
जवाब देंहटाएं'तुमसे (खुद से अधिक) प्यार करना' दोनों में अंतर है.
बोले गये कथन बेशक एक ही हों.... लेकिन बहुत से अर्थों की गूँज कहे गये वाक्यों के साथ बहुत कमज़ोर स्वर में होती है.. जिसे विशेष कानों वाले ही सुन पाते हैं.
'कहे में अनकहा काफी कुछ होता है'