एक ब्रिज का टेंडर निकला |
एक मद्रासी से कहा 50 लाख में ब्रिज बना दूँगा |
ऑथोरिटीस ने पूछा कैसे ?
वो बोला 10 लाख मेरे , 10 लाख का मटेरियल , 10 लाख मजदूरों के |
सिन्धी बोला 90 लाख में बना दूँगा |
ऑथोरिटीस ने पूछा इतना महँगा क्यों ?
सिन्धी बोला 30 लाख मेरे , 30 लाख आपके |
ऑथोरिटीस बोले ब्रिज कौन बनायेगा |
सिन्धी बोला ब्रिज मद्रासी बनायेगा |
सिन्धी को टेंडर मिल गया |
एक मद्रासी से कहा 50 लाख में ब्रिज बना दूँगा |
ऑथोरिटीस ने पूछा कैसे ?
वो बोला 10 लाख मेरे , 10 लाख का मटेरियल , 10 लाख मजदूरों के |
सिन्धी बोला 90 लाख में बना दूँगा |
ऑथोरिटीस ने पूछा इतना महँगा क्यों ?
सिन्धी बोला 30 लाख मेरे , 30 लाख आपके |
ऑथोरिटीस बोले ब्रिज कौन बनायेगा |
सिन्धी बोला ब्रिज मद्रासी बनायेगा |
सिन्धी को टेंडर मिल गया |
बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंवाह,,,,लाजबाब प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST: माँ,,,
बहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
जवाब देंहटाएंमित्र ... आजकल यही तो हो रहा है।
व्यापारी ही नहीं ... सरकार जिनके हाथ में है वे सभी मंत्री नेता व्यापारी बुद्धि वाले हैं।
सोने पे सुहागा ये कि वे व्यापार भी धूर्त नीति से करते हैं, सेवा की नियत से नहीं।
गलत सन्दर्भ में मुहावरा प्रयोग किया - 'सोने पे सुहागा'
जवाब देंहटाएंजबकि मुझे कहना चाहिए था ... 'करेला और नीम चढ़ा' ये कि ...