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28 अगस्त 2017

कालचक्र

एक ओल्ड ऐज होम, वहाँ एक कमरे के बाहर, एक आदमी और एक लेडी डॉ, " देखिये मैंने आपकी माँ का चेकअप कर लिया है.... वो अब कुछ दिनों की ही मेहमान हैं.. मै कुछ मेडिसन लिख रही हूँ.. इनसे उन्हें कम तकलीफ होगी... और हाँ मेरी फीस है 1200 रूपए " डॉ ने उस आदमी से कहा, डॉ की बात सुनकर वो चौंकते हुए बोला " 1200 रूपए... फीस ??? " " जी हां... मै अपना क्लीनिक छोड़ कर यहाँ आई हूँ " डॉ ने बुरा सा मुँह बना कर कहा, उस आदमी ने अनमने मन से डॉ को फीस दी और फिर सामने के कमरे मे चला गया, वो एक छोटा सा कमरा था, सामने एक बेड पर एक बूढी महिला लेटी थीं, बेड के बराबर मे स्टूल पर एक टेबल फैन रखा था जो उन बूढी महिला की तरह ही बूढा लग रहा था, उसकी हवा फेंकने की रफ़्तार से लग रहा था जैसे वो भी अपने अंतिम समय का इंतज़ार कर रहा हो|

8 जून 2016

धन, सफलता और प्रेम

एक औरत ने तीन संतों को अपने घर के सामने देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी। औरत ने कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन करिए।” संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?” औरत – “नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।” संत –“हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर हों।” शाम को उस औरत का पति घर आया और औरत ने उसे यह सब बताया।

पति – “जाओ और उनसे कहो कि मैं घर आ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।” औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के  लिए कहा। संत बोले – “हम सब किसी भी घर में एक साथ नहीं जाते।” “पर क्यों?” – औरत ने पूछा। उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन है |”

फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा – “इन दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।”

25 अप्रैल 2016

परिश्रम और भाग्य की चाबी

एक पान वाला था। जब भी पान खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा की भाई देर हो जाती है जल्दी पान लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नही होती। एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।  तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैनें सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।
 
मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से? और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए। कहने लगा,आपका किसी बैंक में लाकर तो होगा? उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लाकर की दो चाभियाँ होती हैं। एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास। आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य। जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नही खुल सकता। आप कर्मयोगी पुरुष हैं ओर मैनेजर भगवान। 
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