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7 जून 2013

बीरबल के पिताजी

एक दिन बादशाह ने बीरबल को बुलाया और कहने लगे कि बीरबल तुम इतने होशियार हो तो तुम्हारे वालिद तो तुमसे भी ज्यादा अक्लमंद होंगे | मैं उनसे मिलना चाहता हूँ| बीरबल ने कहा कि सरकार वह देहात के रहने वाले सीधे साधे हैं | किंतु बादशाह ने कहा कि मेरी बड़ी इच्छा है कि उनके दर्शन करूँ| बीरबल ने बादशाह का मतलब समझ लिया और बोला कि अच्छी बात है | कुछ दिनों बाद उसने समाचार भेजकर अपने पिता को बुलाया | उनके लिये बहुत ही सुन्दर पोशाक बनवाया और समझाया कि पिता जी - बादशाह आपसे मिलना चाहता है | आप जब दरबार में जाइयेगा तो बादशाह को सलाम करके बैठ जाइयेगा | बादशाह आपसे कुछ भी पूछे – कोई उत्तर न दीजिएगा |

एक दिन बीरबल के पिता जी खूब सज धज कर दरबार में पहुँचे| बादशाह को खबर की गई कि बीरबल के पिता जी आये हैं | बादशाह थोड़ी देर में आया | उसे देखकर बीरबल के पिता जी ने सलाम किया और बैठ गए | बादशाह ने पूछा कि आप बीरबल के पिता हैं | पिताजी चुप थे | उसने फिर पूछा कि आप का नाम क्या है | वे अब भी चुप रहे और कुछ नहीं बोले | आगे बादशाह ने पूछा कि गाँव की खेती इस साल कैसी है ? पिता जी चुप रहे |

बादशाह ने दर्जनों सवाल किये किन्तु बीरबल के पिता ने जबान तक नहीं हिलाई | बादशाह खीज उठा और यह कहते हुए अन्दर चला गया कि किस मुर्ख से आज पाला पड़ा |

बादशाह के जाने के बाद बीरबल के पिता जी भी उठकर घर चले आये और उन्होंने बीरबल से सारी बातें बता दी | बीरबल ने कहा कि ठीक है | चार दिन बाद बीरबल दरबार पहुंचे तो अकबर बादशाह ने कहा अरे बीरबल सुनो तुमसे एक जरुरी बात करनी है | बीरबल करीब आये तो बादशाह ने कहा कि बीरबल - “यदि मूर्खों से पाला पड़ जाय तो क्या करना चाहिए”

इस पर बीरबल तपाक से बोल पड़ा कि ‘हुजूर, सरकार चुप रहना चाहिए’|

यह सुनकर बादशाह की आँखें नीची हो गयी|

स्रोत -  फेसबुक वालपोस्ट उत्कर्ष के द्वारा

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