एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से शान से कहा -" बीरबल हमारी जनता बेहद ईमानदार है और हमें बहुत प्यार करती है |" बीरबल ने तुरन्त उत्तर दिया - " बादशाह सलामत न तो आपके राज्य में कोई भी पूरी तरह से ईमानदार है और न ही वो आपसे ज्यादा प्यार करतें हैं |"
"यह तुम क्या कह रहे हो बीरबल ? अकबर बोले |
बीरबल - "बादशाह सलामत ! मैं अपनी बात को साबित कर सकता हूँ |"
"ठीक है तुम हमें साबित करके दिखाओ |" बादशाह अकबर बोले |
बीरबल ने नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि बादशाह सलामत एक भोज करने जा रहें हैं | उसके लिए सारी प्रजा से अनुरोध है कि कल सुबह से पहले एक -एक लोटा दूध डालें , कड़ाहे रखवा दिये गये हैं | हर आदमी ने यही सोचा कि जहाँ इतना दूध इकट्ठा होगा वहाँ एक लोटा पानी का क्या पता चलेगा | अत : हर आदमी कड़ाहो में पानी डाल गया |
सुबह अकबर ने जब उन कड़ाहो को देखा जिसमे जनता से दूध डालने को कहा गया था तो दंग रह गये उन कड़ाहो में केवल पानी था | और उन्हें वास्तविक स्थिति का पता चल गया |
बादशाह सलामत को असलियत पता चल गईः)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर तरीका असलियत पता लगाने का ,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : प्यार न भूले,,,
सच है ... इसलिए अब यह निःसंकोच कहा जा सकता है - शासक का चरित्र इतना ऊँचा होना चाहिए कि स्वप्न में भी उससे कोई विश्वासघात/ धोखा करने का न सोचे। नैतिकता, सदाचारिता और चरित्रबल ऊँचा होने से प्रजा भी शासक की छोटी-छोटी इच्छाओं का ध्यान रखती है।
जवाब देंहटाएंअसलियत यही है..
जवाब देंहटाएंसारा जग बेईमान !
:)
वाऽह ! क्या बात है !
बचपन में मेरे पूज्य बाबूजी सुनाया करते थे अकबर-बीरबल के किस्से
आपने कई भूले किस्से याद दिला दिए … आभार !
शुभकामनाओं सहित…
बोध कथा नहीं ,बोध नामा है यह तो अब कोई बीरबल नहीं है न कोई अकबर .
जवाब देंहटाएंjai ho ayodhhya mahraj ki
जवाब देंहटाएंgood one, keep it up.
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