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1 मार्च 2012

बीरबल की खिचड़ी


एक दफा शहंशाह अकबर ने घोषणा की कि यदि कोई व्यक्ति सर्दी के मौसम में नर्मदा नदी के ठंडे पानी में घुटनों तक डूबा रह कर सारी रात गुजार देगा उसे भारी भरकम तोहफ़े से पुरस्कृत किया जाएगा|

एक गरीब धोबी ने अपनी गरीबी दूर करने की खातिर हिम्मत की और सारी रात नदी में घुटने पानी में ठिठुरते बिताई और जहाँपनाह से अपना ईनाम लेने पहुँचा| बादशाह अकबर ने उससे पूछा तुमने कैसे सारी रात बिना सोए, खड़े खड़े नदी में रात बितायी ? तुम्हारे पास क्या सबूत है?

धोबी ने उत्तर दिया – जहाँपनाह, मैं सारी रात नदी छोर के महल के कमरे में जल रहे दीपक को देखता रहा और इस तरह जागते हुए सारी रात नदी के शीतल जल में गुजारी| तो इसका मतलब यह हुआ कि तुम महल के दिये की गरमी लेकर सारी रात पानी में खड़े रहे और ईनाम चाहते हो | बादशाह ने क्रोधित होकर कहा- सिपाहियों इसे जेल में बंद कर दो|

बीरबल भी दरबार में  था उसे यह देखकर बुरा लगा कि बादशाह नाहक ही उस गरीब पर जुल्म कर रहे हैं| बीरबल दूसरे दिन दरबार में हाज़िर नहीं हुआ, जबकि उस दिन दरबार की एक आवश्यक बैठक थी| बादशाह ने एक खादिम को बीरबल को बुलाने भेजा| खादिम ने लौट कर जवाब दिया – बीरबल खिचड़ी पका रहे हैं और वह खिचड़ी पकते ही उसे खाकर आएँगे|

जब बीरबल बहुत देर बाद भी नहीं आये तो बादशाह को बीरबल की चाल में कुछ संदेह नज़र आया| वे खुद तफ्तीश करने पहुचे और उन्होंने देखा कि एक बहुत लंबे से डंडे पर एक घड़ा बांधकर उसे बहुत ऊँचा लटकाया गया है और नीचे जरा से आग जल रही है| पास में बीरबल खटिया पर आराम से लेटे हुए हैं|

बादशाह ने तमककर पूछा – यह क्या तमाशा है? क्या ऐसी भी खिचड़ी पकती है? बीरबल ने कहा माफ़ करें जहाँपनाह, जरुर पकेगी जैसे कि धोबी को महल के दिये से गर्मी मिली थी| बादशाह को बात समझ में आ गयी और उन्होंने बीरबल को गले लगाया और धोबी को मुक्त कर इनाम देने का हुक्म दिया|

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